यूनानी चिकित्सा संकट में: आधुनिक डिग्रीधारियों ने परंपरा से किया किनारा?

यूनानी चिकित्सा, जो सदियों से भारतीय चिकित्सा प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा रही है, आज खुद अपने घर में ही उपेक्षा का शिकार हो रही है। यूनानी पद्धति से स्नातक बनने वाले बी.यू.एम.एस. (BUMS) डिग्रीधारी चिकित्सकों ने अब स्वयं को "हकीम" के बजाय "डॉक्टर" कहलाना शुरू कर दिया है, और विडंबना यह है कि वे यूनानी चिकित्सा से अधिक एलोपैथी की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हकीम अबू रिज़वान, जो 1992 में यूनानी चिकित्सा में स्नातक हुए थे, कहते हैं कि यह बदलाव केवल नाम का नहीं, बल्कि पहचान और परंपरा के खोने का संकेत है। उन्होंने बताया कि उनके प्रमाण-पत्र में उन्हें "हकीम" कहा गया था, लेकिन आज की पीढ़ी इस उपाधि से परहेज़ करती है और खुद को आधुनिक चिकित्सा पद्धति का हिस्सा मानती है। हकीम रिज़वान का कहना है, "यह एक साजिश थी, जिसमें हमारी पहचान को मिटा दिया गया। हमने स्वयं ही अपने पूर्वजों की धरोहर को त्याग दिया है। आज बाजार में एक भी हकीम का बोर्ड नजर नहीं आता, जबकि उनके पास यूनानी चिकित्सा की वैध डिग्री है।" उन्होंने चिंता जताई कि वर्तमान बीयूएमएस स्नातक यूनानी चिकित्सा की गह...